भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
पड़ोसी आँख और दूर कान के बीच
एक इतिहास की छटपटाहट
एक अन्धेखे अनदेखे की रपट
एक टेप रिकार्डर की हलचल होती है.
जहां सभ्यता देह बदलती है
और बच्चे सवाल हल करते हैं
अगली किताबात क़िताबात के लिए.
</poem>