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मीराबाई
,|उपनाम=गुजराती नाम [[મીરાંબાઈ]]
|जन्म=1498
|जन्मस्थान=मेरताग्राम चोकड़ी, जोधपुर, [[राजस्थान]], भारत
|मृत्यु=1547
|कृतियाँ=
|विविध=मीराबाई की अधिकांश रचनाएँ उनके कृष्ण प्रेम से ओत-प्रोत हैं।इनका विवाह उदयपुर के महाराणा कुमार भोजराज जी के साथ हुआ था। ये बचपन से ही कृष्णभक्ति में रुचि लेने लगी थीं। विवाह के थोड़े ही दिन बाद आपके पति का देहांत हो गया था। इसके पश्चात् इनकी भक्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ती गई। ये मंदिरों में जाकर वहां मौजूद कृष्णभक्तों के सामने कृष्णजी की मूर्ति के आगे नाचती रहती थीं। मीराबाई का नाचना और गाना राज परिवार को अच्छा नहीं लगा। उन्होंने कई बार मीराबाई को विष देकर मारने की कोशिश की। परेशान होकर ये द्वारका और वृंदावन गई।
|अंग्रेज़ीनाम=Meera, Mira, Meera Bai, Meerabai, Krishna, Pad, Bhakti
|जीवनी=[[मीराबाई / परिचय]]
* [[सखी मेरी नींद नसानी हो / मीराबाई]]
* [[कोई कहियौ रे प्रभु आवनकी / मीराबाई]]
* [[तेरो कोई न रोकण हार / मीराबाई]]
* [[अब न रहूंगी तोर हठ की / मीराबाई]]
{{भक्तिकालीन रचनाकार}}