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<poem>राणा जी...हे राणा जी
राणा जी अब न रहूंगी तोर हठ की
साधु संग मोहे प्यारा लागे
लाज गई घूंघट की
हार सिंगार सभी ल्यो अपना
चूड़ी कर की पटकी
महल किला राणा मोहे न भाए
सारी रेसम पट की
राणा जी... हे राणा जी
जब न रहूंगी तोर हठ की
भई दीवानी मीरा डोले
केस लटा सब छिटकी
राणा जी... हे राणा जी!
अब न रहूंगी तोर हठ की।
</poem>
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<poem>राणा जी...हे राणा जी
राणा जी अब न रहूंगी तोर हठ की
साधु संग मोहे प्यारा लागे
लाज गई घूंघट की
हार सिंगार सभी ल्यो अपना
चूड़ी कर की पटकी
महल किला राणा मोहे न भाए
सारी रेसम पट की
राणा जी... हे राणा जी
जब न रहूंगी तोर हठ की
भई दीवानी मीरा डोले
केस लटा सब छिटकी
राणा जी... हे राणा जी!
अब न रहूंगी तोर हठ की।
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