भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक औरत / इला कुमार

1,085 bytes added, 05:11, 15 अक्टूबर 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इला कुमार |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=इला कुमार
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatStreeVimarsh}}
<poem>एक औरत
झेलती है अपनी रीतती हुए उम्र की सलवटों को
पीछे चलते बच्चों के संग

अपने शरीर के पहरुओं को भूली हुई
जो उससे खुद उसी की पहचान मांगते
अन्य रिश्तों के बीच ठिठके हुए

रह-रह कर एक हिंसा कौंधती
दयामयी की अनगिनत माफियों पर

अतृप्ति के असली जनक को
वे खूब पहचानते हैं
वे नहीं जान पाते कि
औरत
अपनी अतृप्ति को हर हमेशा
बच्चों की खुशफहमियों से झांप लिया करती है!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits