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*[[दरिया को पागल करने को अक्स-ए-समुन्दर काफ़ी था / ज़ाहिद अबरोल]]
*[[जब एहसास की झील में हमने दर्द का कंकर फेंका है / ज़ाहिद अबरोल]]
*[[सहरा से जंगल में आकर छाँव में घुलती जाए धूप / ज़ाहिद अबरोल]]