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|रचनाकार=पारस अरोड़ा
}}<poem>'''पारस अरोड़ा''' :
जन्म : अगस्त 1937 में रक्षाबंधन के दिन अजमेर में जन्म।निधन : 31 अक्टूबर 2015मूल गांव पीपाड़सिटी जिला-जोधपुर के वाशिन्दे। बरसों जोधपुर विश्वविद्यालय में कंपोजीटरी के साथ राजस्थानी में काव्य-लेखन और राजस्थानी की चर्चित पत्रिकाओं जांणकारी, अपरंच इत्यादि का संपादन-प्रकाशन किया।तीन कविता-संग्रैसंग्रह- ‘झळ’, ‘जुड़ाव’, ‘काळजै कलम लागी आग री’ अर और उपन्यास- ‘खुलती गांठां’ प्रकाशित। ‘राजस्थानी-1’ नवी नई कविता की पैली पहली पत्रिका रा के पांच कवियां मांय सामिल में शामिल कवि। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर खातर के लिए प्रतिनिधि कविता-संकलन ‘अंवेर’ रौ का संपादन। मंगलेश डबराल रै के हिंदी कविता संग्रै रौ का राजस्थानी अनुवाद- ‘म्हां जिकौ देखां’ साहित्य अकादेमी, नवी नई दिल्ली सूं से प्रकाशित। राजेश जोशी री की कविता "समरगाथा" रो का राजस्थानी अनुवाद प्रकाशित।‘अपरंच’ तिमाही पत्रिका रै अलावा के अतिरिक्त काफी वर्षों तक लोकप्रिय मासिक पत्रिका ‘माणक’ सूं ई में संपादन-जुड़ाव रैयौ।सहयोग।सम्मान : विष्णुहरि डालमिया पुरस्कार और राजस्थान भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी से विशिष्ट साहित्यकार सम्मान।पता : [[गौतम अरोड़ा]] अ-360, सरस्वतीनगर, बासनी, जोधपुर 342005
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