भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तू बादल बन / रामनरेश पाठक

731 bytes added, 15:13, 2 नवम्बर 2015
'{{KKRachna |रचनाकार=रामनरेश पाठक |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKRachna
|रचनाकार=रामनरेश पाठक
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>तुम बादल बन.

मरू में बरसो,
मधु क्षण सिरजो,

तुम बादल बन.

खेतों में गा,
मदों पर छा,

तुम बादल बन.

तुम जीवन दो,
तुम मधुवन दो,

तुम बादल बन.

गा, गा, मुसका,
मुसका, गा, गा,

तुम पागल बन.
छंदों पर छा,
रागों में आ,

तुम रागल बन.
तुम पागल बन.
तुम बादल बन.</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits