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ओळखाण / रचना शेखावत

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<poem>
जांटी तो अणगिणत होवै
अगन पीयोड़ी
पण पूजीजै कोई-कोई
बियां ई
कोई-कोई लुगाई री,
जूण नैं मिलै है-
ओळखाण।
</poem>
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