भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

साफ-सुथरो घर / रचना शेखावत

606 bytes added, 11:17, 7 नवम्बर 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रचना शेखावत |संग्रह=मंडाण / नीरज द...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रचना शेखावत
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita‎}}
<poem>
ढक देवूं रोसनदान री जाळी
बारणै पर स्प्रिंग लगवा देवूं
कै कबूतरां-चिड़कल्यां रै
घर बणावण री रुत है!
रैवूं एकली राजी
घर साफ-सुथरो है
कठैई न तिणकलो
न कचरो है!
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,484
edits