भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|भाषा=ब्रजभाषा
}}
{{KKCatBrajBhashaRachna}}
<poem>
गाना हो तुम भजन संभरि के गाना - २
इनके भीतर जो तुम आये
पकरें दोऊ काना हो
तुम भजन संभरि के गाना.....
</poem>