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{{KKRachna
|रचनाकार=रेखा चमोली
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem> हम मनुष्य नहीं हैैैं
हम मांस हैं
कोमल नवजात झुर्रीदार
रक्त हैं गुनगुना
हम फसलंे हैं
भण्डार भरतीं ,भूख मिटातीं
हम चूल्हा हैं
चूल्हे की लकड़ियाँ हैं
झाडू की सीकें हैं
थूक, गू-मूत साफ करती
हम देवियां हैं
आदर -सम्मान का संशय पाले
हम पतिताएं हैं
अपमानित होने की अधिकारिणी
हम पतिव्रताएं हैं
हम हाथ हैं
होंठ हैं
स्तन हैं
जॉघें हैं
बस हम मनुष्य नहीं हैं।</poem>
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|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem> हम मनुष्य नहीं हैैैं
हम मांस हैं
कोमल नवजात झुर्रीदार
रक्त हैं गुनगुना
हम फसलंे हैं
भण्डार भरतीं ,भूख मिटातीं
हम चूल्हा हैं
चूल्हे की लकड़ियाँ हैं
झाडू की सीकें हैं
थूक, गू-मूत साफ करती
हम देवियां हैं
आदर -सम्मान का संशय पाले
हम पतिताएं हैं
अपमानित होने की अधिकारिणी
हम पतिव्रताएं हैं
हम हाथ हैं
होंठ हैं
स्तन हैं
जॉघें हैं
बस हम मनुष्य नहीं हैं।</poem>