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|रचनाकार=शिव कुमार झा 'टिल्लू'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>वरखा मिथिलाभू सँ भ' गेलै नेपत्ता
किए किनबै आब छत्ता अय सखिया
अदरा रुसि क' भागल मग्गह
बदरा कयलनि फलगू महमह
गरमीक मारल प्रियतम भागि गेलनि कलकत्ता
किए किनबै आब छत्ता अय सखिया ..........
साओन कल्पक आश पियासल
तांडव देखब कोना उपासल
सुक्खल विरह सरित त' भरत कोना उर खत्ता
किए किनबै आब छत्ता अय सखिया ..........
गहगर पूर्वा रास रचाबय
भद्रा माँतल हिय बहकाबय
यौवनक वेतन पर भारी विरहक ई भत्ता
किए किनबै आब छत्ता अय सखिया ..........
हथिया सूढ लटकौने ठाढ़
नहि बुझलहुँ पावस की जाड़
आँखि गड़ौने वजीर संग जरलाहा हरजोत्ता
किए किनबै आब छत्ता अय सखिया .........
</poem>
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<poem>वरखा मिथिलाभू सँ भ' गेलै नेपत्ता
किए किनबै आब छत्ता अय सखिया
अदरा रुसि क' भागल मग्गह
बदरा कयलनि फलगू महमह
गरमीक मारल प्रियतम भागि गेलनि कलकत्ता
किए किनबै आब छत्ता अय सखिया ..........
साओन कल्पक आश पियासल
तांडव देखब कोना उपासल
सुक्खल विरह सरित त' भरत कोना उर खत्ता
किए किनबै आब छत्ता अय सखिया ..........
गहगर पूर्वा रास रचाबय
भद्रा माँतल हिय बहकाबय
यौवनक वेतन पर भारी विरहक ई भत्ता
किए किनबै आब छत्ता अय सखिया ..........
हथिया सूढ लटकौने ठाढ़
नहि बुझलहुँ पावस की जाड़
आँखि गड़ौने वजीर संग जरलाहा हरजोत्ता
किए किनबै आब छत्ता अय सखिया .........
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