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राजा / राग तेलंग

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<poem>राजा के
सत्ता हस्तांतरित करने का समय था

सारे मंत्री पूर्व हो गए थे
सब खूब रोए

सारे ऐय्यार निठल्ले हो गए
सब खूब रोए

राजा कलाओं का मर्मज्ञ था
उसने इस रोने को
अभिनय कला जानकर
अपने भाषण के दौरान रूंधे गले से कहा:
मेरा भी रोने का मन कर रहा है
मैं आपके रोने में सहभागी हूं

फिर एक आंसू भी टपकाया
सब को दिखाया

उपस्थित सारी प्रजा
यह देखकर रो पड़ी

सबने राजा के लिए तालियां बजाईं।
</poem>
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