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अग्निशमन केन्द्र / राग तेलंग

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<poem>घरों के भीतर संबंधों में आग से घमासान शुरू हो चुका है
बाहर बाकी है

बाहर अभी बाकी है
बहुत सारी अग्नि बाकी है बेताब फैलने को चहुं ओर

इसलिए कि लोग अनथक श्रम के बाद भी
न्यूनतम जीवनशैली को छू नहीं पा रहे हैं

घर से बाहर बहुत बेचैन होकर निकले हैं लोग

बाहर जाते समय रास्ते में
कई अग्निशमन केन्द्र स्थित हैं
सो लगकर भी फैलने नहीं पाती आग

घर से निकलते ही आती है दिन के नशे की दुकान
यह पहला अग्निशमन केन्द्र है

फिर आती है मधुशाला जहां रोज रात ग़म दूर करते हैं लोग
फिल्मी गानों और नग्न नृत्य दृश्यों के साथ
यह दूसरा अग्निशमन केन्द्र है

रोजाना ढेर सारे लोग
अलग-अलग एक दूसरे से बातें करते-करते
अंत में झगड़ने में मशगूल रहे आते हैं और नेटवर्क आता-जाता रहता है
और ज्यादा भिड़ाता हुआ
यह एक और अग्निशमन केन्द्र है मगर अदृश्य

बहुत सारे लोग अकारण असमय मारे जाते हैं
अग्निशमन केन्द्रों की अग्नि से

चंद सुविधाओं के झुनझुने हाथों में थामे चंद लोग
भाग्य की महिमा स्थापित करने में सदियों से जुटे हैं
भाग्य एक अलग अग्निशमन केन्द्र है

हम सोचते हैं एक दिन अपने-आप ठीक हो जाएगा सब कुछ



ऐसा सोचते हुए आपने ध्यान दिया !
हम भी तो हमारे भीतर के जलते लावा के लिए
एक अग्निशमन केन्द्र हैं

मगर क्या आपने देखा ?
आग चारों तरफ है बराबर लगी हुई.
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