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|रचनाकार=शैलजा पाठक
|अनुवादक=
|संग्रह=मैं एक देह हूँ, फिर देहरी / शैलजा पाठक
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<poem>ये तहों में रखती हैं अपनी कहानियां
कभी झटक देती हैं धूप की ओर