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कमाल की औरतें १ / शैलजा पाठक

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|रचनाकार=शैलजा पाठक
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|संग्रह=मैं एक देह हूँ, फिर देहरी / शैलजा पाठक
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<poem>देर तक औरतें अपने साड़ी के पल्लू में
साबुन लगाती रहती हैं
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