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{{KKRachna
|रचनाकार=कमलेश द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>देखिये-देखिये इक नजर देखिये.
कब से बैठा हूँ मैं भी इधर देखिये.
आपसे मेरे दिल की गुज़ारिश यही-
आपका दिल न चाहे मगर देखिये.
मेरी नजरों से नजरें मिला लीजिये,
फिर इधर देखिये या उधर देखिये.
आपके वास्ते जैसे मैं सोचता,
आप भी तो कभी सोचकर देखिये.
आपको जो भी कहना हो कहिये मगर,
कौन होने लगा चश्मेतर देखिये.
बात दिल की कहूँ किस तरह आपसे,
थरथराने लगे हैं अधर देखिये.
आपकी राह आसान हो जायेगी,
आप बनकर मेरे हमसफर देखिये.
प्यार ही प्यार मैंने कमाया सदा,
कितना होगा मेरा आयकर देखिये.
</poem>
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|रचनाकार=कमलेश द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>देखिये-देखिये इक नजर देखिये.
कब से बैठा हूँ मैं भी इधर देखिये.
आपसे मेरे दिल की गुज़ारिश यही-
आपका दिल न चाहे मगर देखिये.
मेरी नजरों से नजरें मिला लीजिये,
फिर इधर देखिये या उधर देखिये.
आपके वास्ते जैसे मैं सोचता,
आप भी तो कभी सोचकर देखिये.
आपको जो भी कहना हो कहिये मगर,
कौन होने लगा चश्मेतर देखिये.
बात दिल की कहूँ किस तरह आपसे,
थरथराने लगे हैं अधर देखिये.
आपकी राह आसान हो जायेगी,
आप बनकर मेरे हमसफर देखिये.
प्यार ही प्यार मैंने कमाया सदा,
कितना होगा मेरा आयकर देखिये.
</poem>