भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हम मिलते हैं / कमलेश द्विवेदी

812 bytes added, 04:02, 25 दिसम्बर 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमलेश द्विवेदी |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कमलेश द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>खुशियाँ मिलतीं ग़म मिलते हैं.
सबसे हँसकर हम मिलते हैं.

अच्छे तो हैं इस दुनिया में,
पर ढूँढो तो कम मिलते हैं.

बीते दिन की अलमारी में,
यादों के अलबम मिलते हैं.

हमराही मिलते हैं कितने,
पर कितने हमदम मिलते हैं.

उससे मिलकर लगता ऐसा,
जैसे ख़ुद से हम मिलते हैं.
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits