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''' एक जनवरी की आधी रात को '''
एक ने
जूठन फेंकने से पहले
दूसरा जो दारू के गिलास धो रहा था
इकट्ठा कर रहा था
तीसरे ने
जैसे लोगों ने कल जो मनाया
वह झूठ था
आज है असली नव वर्ष नववर्ष
दारू के धोवन से भरी बोतलों का
ढक्कन यूँ खोला
जैसे शेम्पेन की बोतलों के ओपेनर
उनकी जेबों ज़ेबों में ही रहते हैं
जूठे केक के टुकड़े खाते हुए
एक दूसरे कोदीनव वर्ष नववर्ष की शुभकामनाएँ दी
इसी तरह मनाते आ रहे हैं
कलैण्डर और पंचांग पंचाँग की तारीख़ों कोचुनौती देते हुए ।हुए।
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