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कविता-एक / विनोद स्वामी

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|रचनाकार=विनोद स्वामी
|संग्रह= मंडाण / नीरज दइया
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<poem>
बाबो
बाजरी बीजण गया
मां ले’र गई भातो।
म्हैं
कविता लिखण बैठ्यो हूं।
</poem>
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