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कविता-च्यार / विनोद स्वामी

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|रचनाकार=विनोद स्वामी
|संग्रह= मंडाण / नीरज दइया
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<poem>
वै गोडै घड़ी नै
कविता कैवै
म्हैं
मोढै ढोयेड़ी नैं।
</poem>
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