भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|संग्रह=युगमंगलस्तोत्र / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
}}
{{KKCatKavitaKKCatBrajBhashaRachna}}
<poem>
मंगल राधा कृष्ण नाम शुचि सरस सुहावन।
मंगलमय अनुराग जुगल मन मोह बढ़ावन॥
मंगल गावनि भाव सुमंगल वेनु बेनु बजावन।
मंगल प्यारी मोद विहँसि मुख चंद दुरावन॥
मंगलमय प्रातहि उठि दोऊ कुंजनितें गृह आवईं।
बद्रीनरायन जू तहाँ मंगल पाठ सुनावईं॥
</poem>