भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्रार्थना - 15 / प्रेमघन

976 bytes added, 06:37, 3 फ़रवरी 2016
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
|संग्रह=प्रेम पीयूष / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
}}
{{KKCatBrajBhashaRachna}}
<poem>
काली अलकावलि पै मोर पंख छवि लखि,
::विलखि कराहैं ये कलाप मुरवान के।
पीत परिधान दुति दाब्यो दामिनी दुराय,
::लखि मोतीमाल दल भाजे बगुलान के॥
प्रेमघन घनस्याम अति अभिराम सोभा,
::रावरी निहारि लाजे घन असमान के।
गरजन मिस करैं दीनता अरज ढारै,
::अँसुवन ब्जाय वारि बिन्दु बरसान के॥
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits