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स्फुट - 3 / प्रेमघन

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{{KKRachna
|रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
|संग्रह=प्रेम पीयूष / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
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<poem>
आनन इन्दु अमन्द चुराय, चकोर चितैं ललचाय न टालो।
ठोढ़ी गुलाब प्रसून दुराय, मलिन्दन लोचन सोचन सालो॥
ह्वै घनप्रेम दया बरसी, रस के बस बानि अनीति सँभालो।
रूप अनूपम देहु दिखाय, दया करि हाय न घूँघट घालो॥
</poem>
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