भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गौतम राजरिशी |संग्रह=पाल ले इक रो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गौतम राजरिशी
|संग्रह=पाल ले इक रोग नादाँ / गौतम राजरिशी
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
उठ, ऐ क़लम ! संवाद कर
शब्दों को जिंदाबाद कर

अल्फ़ाज़ के श्रिंगार से
हर ख़्वाब का अनुवाद कर

मत चल लकीरों पर कभी
जब, जो भी कर, अपवाद कर

हक़ है तो बढ़ कर छीन ले
लेकिन न तू फ़रियाद कर

ज़ुल्मो-सितम पर चुप न रह
हूंकार भर, उन्माद कर

मुट्ठी उठा, नारे लगा
आवाज़ को आज़ाद कर

कह ले ग़ज़ल या नज़्म लिख
दिल का नगर आबाद कर





(अलाव,सितम्बर-अक्टूबर 2011)
235
edits