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|संग्रह=आँखों भर आकाश / निदा फ़ाज़ली
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सिखा देती है चलना ठोकरें भी राहगीरों को
कोई रास्ता सदा दुशवार हो ऐसा नहीं होता
सिखा देती है चलना ठोकरें भी राहगीरों को<br>कोई रास्ता सदा दुशवार हो ऐसा नहीं होता<br><br> कहीं तो कोई होगा जिसको अपनी भी ज़रूरत हो<br>
हरेक बाज़ी में दिल की हार हो ऐसा नहीं होता
</poem>
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