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<poem>
वो जब अपनी ख़बर दे है
जहाँ भर का असर दे है रगों में गश्त कुछ दिन सेकोई आठों पहर दे है
चुराकर कौन सूरज से
ये रातों की है मेरी प्यास का रूतबानक्काशीजो दरिया सुबहों में लहर कलर दे है
कहाँ है जख़्म ओ मालिकज़ख्म औ' हाकिमयहाँ भला मरहम किधर दे है रगों में गश्त कुछ दिन सेकोई आठों पहर दे है
ज़रा-सा मुस्कुरा कर वो