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वो जब अपनी ख़बर दे है
जहाँ भर का असर दे है रगों में गश्त कुछ दिन सेकोई आठों पहर दे है
चुराकर कौन सूरज से
ये यूं चंदा को नज़र दे है
ये रातों की है मेरी प्यास का रूतबानक्काशीजो दरिया सुबहों में लहर कलर दे है
कहाँ है जख़्म ओ मालिकज़ख्म औ' हाकिमयहाँ भला मरहम किधर दे है  रगों में गश्त कुछ दिन सेकोई आठों पहर दे है
ज़रा-सा मुस्कुरा कर वो
नई नयी मुझको उमर दे है  तुम्हारे हुस्न का रुतबामुहब्बत को हुनर दे है  
रदीफ़ो-काफ़िया निखरे
ग़ज़ल जब से हुनर दे है
{(द्विमासिक आधारशिला, जनवरी-फरवरी 2009})
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