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{{KKRachna
|रचनाकार=गौतम राजरिशी
|संग्रह=पाल ले इक रोग नादाँ / गौतम राजरिशी
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
हम पर जो असर एक ज़माने से हुआ है
वो तो किसी के बात बनाने से हुआ है
कुछ दोष नहीं दिल के धड़कने का ज़रा भी
क़िस्सा तो निगाहों के मिलाने से हुआ है
इम्दाद वही बाँटने अब घर से हैं निकले
हर ज़ुल्मो-सितम जिनके बहाने से हुआ है
कोई तो यहाँ बात ज़रा खुल के बताये
मुश्किल तो ये सारा ही छुपाने से हुआ है
सुलगी है ज़मीं सबको ये मालूम है, लेकिन
किसको पता अम्बर के निशाने से हुआ है
चमके है जो आँखों में तेरी चाँद-सितारे
ये इश्क़ है कमबख़्त लगाने से हुआ है
बेचैनियाँ, लाचारियाँ, दुश्वारियाँ, वहशत
ये सब तेरे इक रूठ के जाने से हुआ है
मुश्किल था बहुत काटना चुपचाप ये रस्ता
आसान सफर हँसने-हँसाने से हुआ है
(कथाक्रम, अक्टूबर-दिसम्बर 2012)
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हम पर जो असर एक ज़माने से हुआ है
वो तो किसी के बात बनाने से हुआ है
कुछ दोष नहीं दिल के धड़कने का ज़रा भी
क़िस्सा तो निगाहों के मिलाने से हुआ है
इम्दाद वही बाँटने अब घर से हैं निकले
हर ज़ुल्मो-सितम जिनके बहाने से हुआ है
कोई तो यहाँ बात ज़रा खुल के बताये
मुश्किल तो ये सारा ही छुपाने से हुआ है
सुलगी है ज़मीं सबको ये मालूम है, लेकिन
किसको पता अम्बर के निशाने से हुआ है
चमके है जो आँखों में तेरी चाँद-सितारे
ये इश्क़ है कमबख़्त लगाने से हुआ है
बेचैनियाँ, लाचारियाँ, दुश्वारियाँ, वहशत
ये सब तेरे इक रूठ के जाने से हुआ है
मुश्किल था बहुत काटना चुपचाप ये रस्ता
आसान सफर हँसने-हँसाने से हुआ है
(कथाक्रम, अक्टूबर-दिसम्बर 2012)