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[[चारूं प्रगट भयारघुवरजी थारी सूरत/अज्ञात]]
चारों ललवा प्रगट भये आज अवध में लडवा बटे
चारों भैया प्रगट भये आज अवध में लडवा बटे
लडवा बटे रेरघुवरजी थारी सूरत प्यारी लागे म्हारा श्याम , ढोल धुरे रे, झीनी झीनी उड़े रे गुलाल उमरावजी ओ म्हारा राम ....
बांदरवाळ बँधाओ मेरी बहना , परदे लगाओ जरीदार, अवध में लडवा बटे
चारों ललवा प्रगट भये आज अवध में लडवा बटेशीश किलंगी पाघड़ी रतन जड़ित सिर पेंच
चारों भैया प्रगट भये आज अवध कुण्डल झलकत कान में लडवा बटेले सब को मन खेंच
रघुनन्दन थारी चितवन प्यारी लागे म्हारा राम
मोतियन चौक पुराओ मेरी बहना ,सुवर्ण के कलश सजाय उमरावजी ओ म्हारा राम ....
केसर कस्तूरी की भरदो तलैयाँ, बरसादो मुसळधार, अवध में लडवा बटे
चारों ललवा प्रगट भये आज अवध में लडवा बटे
चारों भैया प्रगट भये आज अवध में लडवा बटेगल कंठो हीरा जड्यो गज मोतियन की माल
बींटी, मेहँदी ,काँगड़ी शोभा बनी रसाल
सियावरजी थारो लटको प्यारो लागे म्हारा राम
गैया के दूध की खीर घुटाओ , ब्राह्मण जिमाओ अपार उमरावजी ओ म्हारा राम ....
छटी पूजाओं गीत सब गावो , मोहरों की करदो उछाल, अवध में लडवा बटे
चारों ललवा प्रगट भये आज अवध में लडवा बटेअचकन झिलमिल कर रही दे रही अजब बहार
चारों भैया दुपटो जरी की बेल को झलकत कौर किनार  दशरथसूत थारी चलगत प्यारी लागे म्हारा राम उमरावजी ओ म्हारा राम ....  सीता की शोभा घणी, म्हासूं कही न जाए  प्रगट भये आज अवध में लडवा बटेभई घर जनक के श्रीमुख दियो दिखाए  केसरिया थारी जोड़ी प्यारी लागे म्हारा राम उमरावजी ओ म्हारा राम ....
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