भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पावस - 6 / प्रेमघन

792 bytes added, 06:39, 22 फ़रवरी 2016
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
|संग्रह=प्रेम पीयूष / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
}}
{{KKCatBrajBhashaRachna}}
<poem>
खिलि मालती बेलि प्रफुल्ल कदम्बन,
::पैं लपटी लहरान लगी।
सनकै पुरवाई सुगन्ध सनी,
::बक औलि अकास उड़ान लगी॥
पिक चातक दादुर मोरन की,
::कल बोल महान सुनान लगी।
घन प्रेम पसारत सी मन मैं,
::घनघोर घटा घहरान लगी॥
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits