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::बक औलि अकास उड़ान लगी॥
पिक चातक दादुर मोरन की,
::कल बोल महान सुनान सुहान लगी।
घन प्रेम पसारत सी मन मैं,
::घनघोर घटा घहरान लगी॥
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