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पावस - 9 / प्रेमघन

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|रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
|संग्रह=प्रेम पीयूष / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
}}
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<poem>
सजि सूहे दुकूलन झूलन झूलत,
::बालम सों मिलि भामिनियाँ।
बरसावत सोरस राग मलार,
::अलापत मंजु कलामिनियाँ॥
बितिहैं किहि भाँतिन सावन की,
::यह कारी भयंकर जामिनियाँ।
घन प्रेम पिया नहिं आये दसौ,
::दिसि तैं दमकैं दुरि दामिनियाँ॥
</poem>
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