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आओ सा ! बात करां ! / मंगत बादल

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<poem>
आओ सा ! बात करां !
शह देवां !मात करां !

कीं तो सरणाटो टूटैलो,
कीं तो रात कटैली ।
बातां मांय सूं बात निकळसी,
कीं तो बात बणैली ।

क्यूं निसासु हुवां, बध आगै,
दो- दो हाथ करां ।

थां री, मेरी, वां री,सब री
अेक ई राम -कहाणी ।
मूंडो तकै अेक दूजै रो,
और नीं आणी-जाणी ।

पकड़ हाथ में हाथ,
अेक दूजै रो साथ करां ।

मूंडो सीम ना बैठ बावळा,
हियै ताकड़ी तोल ।
आ जबान जद खुलै,
तो बणै सबद-सबद अणमोल ।

बड़ा बोल नीं बोलां पण,
जितरी औकात करां ।
</poem>
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