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02:58, 13 मई 2016
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जिनगी सगर ऐ तरुण देश रोॅ भूलोॅ नै, छौं कठिन परीक्षा तोरोॅदेश विथा सें दूर कहाँ, भटकै छौं मन तोरोॅऊ दीप शिखा जे जललोॅ छै जरा, दूर क्षितिज के कोना में।ज्ञानदीप ऊ तोरोॅ छेकौं, दूरेॅ कैन्हेॅ रखलोॅ छौंबूझै के पहिले पहुँचोॅ, तेज बहुत तेज तोंय दौड़ोॅभरतवंश के मान धरोहर, तोरे आस में धरलोॅ छौंचाहत रहौं अधूरा नै, नै रहौं अधूरा सपनाकाँटोॅ-जराकूसोॅ जत्ते भी हुअेॅ, रूकौं नै पग तोरोॅ। सात सुरोॅ में साथ बँधी केॅ, तार बीन के बजलोॅ छै मौत जहाँ नागिन संग नागोॅ भी जरा-जरा।नाचै, कठिन घड़ी काल के एैलोॅ छैहवा-हवा भलुक सोहानऽ हवाबीन बाज पर जे नै नाचै, ऊ बैठलोॅ छै नेठुआयद्वार मनऽ सीना तानी निडर ऊ बोलै, कहाँ लड़ै लेॅ के खोल्हऽ जों जराबचलोॅ छैश्ब शहीद रोॅ सपना तोड़ी, छूछ्छे बजबै गाल वहींहास-जरा।विलास छोड़ी के साथी, दिशा देश रोॅ मोड़ोॅ।सब दरबज्जा यहाऽ फिट्टे छैखटखटाभौ तेॅ सही जरादेश समस्या सें जूझै छै, भूखोॅ सें जन-जरा।मन कानै छैमिटी जैथौं मंजिल के सब फासलाताल, तराई तलहट्टी में, लोगें थूकोॅ सें सत्तू सानै छैहौसला बुलन्द राखऽ जों जराशहर-जरा।शहर में पैसा गाड़ी, वें झूठ्ठेॅ भाषण खूब बखानै छैपितमरूवोॅ छै इंजोरऽ लोग देश के आगू पथार लागलऽ, जे नै ओकरोॅ कब्बर खानै छैअंधियारा चीरऽ अगर जरानस-जरा।नस में लैकेॅ नया खून, जौं बढ़भेॅ तेॅ मंजिल मिलथौं चलथौं चाँन तारा भी संग तोरऽेन्हां में ऐ तरुण देश रोॅ, खाली-खाली एक भरोसा तोरोॅ।चलऽ राथौ गति काल रोॅ रोकोॅ तोंय, जंजीरोॅ केॅ जों जराझकझोरोॅबंधन-जरा।बाधा आभौं जे रसता में, वै बंधन केॅ तोड़ोॅलगी जैथौं जिनगी जड़ छूबी लेनें छौं यै कीड़ा, राह कठिन नै थोड़ोॅतूफानोॅ के पार घाटताकत लै चलिहोॅ, तनियो नै तोंय डरिहोॅमझधार थाहऽ जों जरा-जरा।किरण आस तोरेह पर टिकलोॅ, जागोॅ होलै सबेरा।लेॅ कुदाल जड़ जंग उखाड़ोॅ, धरती तक ओकरा कोड़ोॅ
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