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|संग्रह=करूणा भरल ई गीत हम्मर / धीरेन्द्र
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<poem>
कतबो खसय नोर मोनक फलकपर,
पलक धरि ने आबए आयास हम्मर।
चुपचाप पीबी विषक हम पियाली,
मरण-बोध करबाक अभ्यास हम्मर।
मुदा अछि विचित्रे रंगताल एतऽ,
चुप्पो रही जँ तँ हमरा सताबय।
मौनो हमर अछि अपराध भेलै,
अनेरे जेना त्रास हमरा देखाबए।
टपल आइ सीमा सहनशीलताकेर,
जेना व्रण ई पूरा टहकिसन रहल अछि।
हमर मोन-तहमे कहू मित्र साँचे,
जेना गर्म लावा लहकिसन रहल अछि।
मुदा ने अन्हारक डगरपर चलब हम,
आशा भरल अछि आकाश हम्मर।
</poem>
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