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प्राणप्रिया, तोरोॅ छौं साथ वास कहाँ नै !रहेॅ जों हरदमतोरोॅ सुधि के रास कहाँ नै !आग हथेली परकोॅµशबनम ।
सरिता के सचमुच कलकल-छलछल मेंप्रेम बिना तेॅ जीवनभोरकोॅ बियाबान हवा सरस ही चंचल मेंया मशान हीसँझकी बेला में रहस्य मोती सें छोॅबनलोॅ मूरत केतेॅ, सुगन्ध रं छोॅ शतदल आँसू के नद मेंभसान ही !सुधिये में नै; साधो तक आह-हाय मेंबदली जाय छैतोरोॅ छौं आभास कहाँ नै सावन केरोॅ झमझम-छमछम प्राणप्रिया छौं वास कहाँ नै !
जेठोॅ कत्तोॅ में साधोॅ तोहीं तेॅ तरसौतंत्रा-मंत्रा केॅसौनोॅ में तोहीं सुख कुछुवो नै आवै वालाआरो कुछुवो जों सुख छै तेॅ बरसौ तोंही तोरोॅ शिशिर बनी तड़पावौकी वसन्तबिना तपावै वाला; बिन ओकरौ सरसौ ।तांही गिरि-वन में साथ झलकै छोॅमिलेॅ जों तोरोॅ, जरियोतोरा ई उल्लास कहाँ नै !लागै मन में मेघ, झमाझम ।
जप-तप योग जे भी जहाँ तक देखौंतोरोॅ रूप छोड़ेॅ वहाँ तक देखौंसाथ, छोड़ाबेॅजत्तेॅ तोहें साथ नै छोड़ियोॅ कभियोसबके दूर साथ नजर हमरोॅ जाय कहैं लेॅ खालीतोरोॅ काटै लेॅ जेना रूप तहाँ तक देखौं कि दोभियो ।सब तोरे के जादू साथ निभैलैं सें बंधलोॅकीतोंही दूर आ पास कहाँ नै !सबके साथ की हेने गमगम ?
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