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कहिया चेततै / दिनेश बाबा

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तब राम-राज होय जाय सगरो
होय स्वर्ग समुच्चे तबेॅ यहाँ।
 
कहिया जैवै हे सजना
तोरोॅ ऐंगना।
रोज-रोज राती केॅ
सांझ दिया-बाती केॅ
भोर या पराती केॅ
तोरे सपना
झूमी आवै छै
आँखोॅ में तोरे सपना।
 
नैन हमरोॅ बोलै छै
दिल के राज खोलै छै
सखी सिनी डोलै छै
आगू पीछू ना
बात पूछै छै
खोदी-खोदी, तोरे सजना।
 
माय हमरोॅ गौना रोॅ
नाम लै छै पहुना रोॅ
रोजे आबेॅ ना
छेड़ीं भौजीं
कहै छै हरदम
ऐलै पहुना।
सखिया-सहेली में
साली-हमजोली में
चुनरी आरू चोली में
अबरी के होली में
रंग डालै ना
अब तेॅ आबी जा
हे बालम तोहें केहुना।
</poem>