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डेगे-डेग उगली रहलोॅ छै जहर रहिय्हौ सँभरी केॅ
साँपोॅ के बिख तेॅ भ$ाड़ला पर भ$ड़ियो झड़ियो भी जाय पारै छै आदमी के बिख चढ़लोॅ जाय छै उ$पर ऊपर रहिय्हौ सँभरी केॅ
मुश्किल नै छै चिन्हार होवोॅ छोटकासिनी छुपलो सब के