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|रचनाकार=विष्णु नागर
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कौन कहता है
 पत्थरों का दिल नहीं होता ? 
होता है
 
हमने तो ऐसे दिल भी देखे हैं
 
जिनकी हार्ट सर्जरी तक हो चुकी है।
 
धूप और छाँव
 
हमने सोचा कि हमारा घर धूप में होना चाहिए
 
फ़िर सोचा छाँव में होना चाहिए
 
फ़िर मुस्कराकर हमने अपने आप से कहा
 पहले घर तो हो  
धूप होगी तो छाँव भी चली आयेगी।
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