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{{KKRachna
|रचनाकार=शिवदीन राम जोशी
}}
{{KKCatKavita}}
[[Category:लम्बी रचना]]
{{KKPageNavigation
|पीछे=कृष्ण सुदामा चरित्र / शिवदीन राम जोशी / पृष्ठ 14
|आगे=कृष्ण सुदामा चरित्र / शिवदीन राम जोशी / पृष्ठ 16
|सारणी=कृष्ण सुदामा चरित्र / शिवदीन राम जोशी
}}
<poem>
बोले घनश्याम याद है कुछ,
जब हम-तुम दोनों पढ़ते थे |
थी कृपा गुरु की अपने पर,
पढ़-पढ़ के आगे बढ़ते थे |
है बात याद बन में भेजे,
सब हाल कहे प्रभु दर्शाके |
उस समय रहे बन माहिं दोऊ,
घबराए मारे वर्षा के |
दिल चिंता बढ़ी गुरूजी के,
कारण आंधी के आने से |
बिजली की तड़क निराली थी,
और पानी के बढ़ जाने से |
एक वृक्ष की ओट में, तुम हम बैठे जाय |
वर्षा रुकती थी नहीं, लीनी क्षुधा सताय |
<poem>
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|रचनाकार=शिवदीन राम जोशी
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|सारणी=कृष्ण सुदामा चरित्र / शिवदीन राम जोशी
}}
<poem>
बोले घनश्याम याद है कुछ,
जब हम-तुम दोनों पढ़ते थे |
थी कृपा गुरु की अपने पर,
पढ़-पढ़ के आगे बढ़ते थे |
है बात याद बन में भेजे,
सब हाल कहे प्रभु दर्शाके |
उस समय रहे बन माहिं दोऊ,
घबराए मारे वर्षा के |
दिल चिंता बढ़ी गुरूजी के,
कारण आंधी के आने से |
बिजली की तड़क निराली थी,
और पानी के बढ़ जाने से |
एक वृक्ष की ओट में, तुम हम बैठे जाय |
वर्षा रुकती थी नहीं, लीनी क्षुधा सताय |
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