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है मति शु़द्ध पवित्र महा अति सार सुधामय बोलत बानी।
कौन पता किस ग्राम बसे अरु दीख रहा मति सात्विक प्रानी।।
'''कृष्ण मनोदशा वर्णन'''  
बहुत मुद्दतों बाद कृष्ण पाया,
पाया प्रेमी का ठीक पता ।
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