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20:04, 30 जून 2016 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=अरविन्द घोष
|अनुवादक=कुमार मुकुल
|संग्रह=
}}
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<poem>
नया साल हमें कई चीजें देता है
पर पुरानी दुनिया के तोहफे तीन थे
सायप्रस के कबूतर, देवों की भेंट की गई शराब
सिसली की पैन की मीठी फोंफी
जीने के आधार प्यार, शराब और गीत
मधुर, प्राचीन और सुरीले
क्या आगामी दिनों में भी
जीवन इन्हीं से आरंभ होगा,
फिर लाजवाब होगा ?
</poem>