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[[Category:सवैया]]
 ::::'''सवैया'''<br><brpoem>झलकै अति सुन्दर आनन गौर, छके दृग राजत काननि छ्वै।<br>हँसि बोलनि मैं छबि फूलन की बरषा, उर ऊपर जाति है ह्वै।<br>लट लोल कपोल कलोल करैं, कल कंठ बनी जलजावलि द्वै।<br>अंग अंग तरंग उठै दुति की, परिहे मनौ रूप अबै धर च्वै।।4।।<br/poem>
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