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समन्दर के किनारे / क्रिस्टीना रोजेटी
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03:54, 28 जुलाई 2016
रत्न, जवाहरात, नमक और
न जाने कितने थिर, स्थिर, मुस्कराते फूल,
कोना कोना मधुरित करते जीवन्त फूल
गोल, चकत्तेदार या नुकीले अजीबोगरीब घोंघे,
तलहटी पर जमा जीवित नुकीली आँखें,
अनिल जनविजय
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