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करीब पा के तुझे झूमता है मन मेरा
जो तेरे तन की है वो मेरे मन की खुशबू ख़ुशबू है
बला की शोख़ है सूरज की एक-एक किरन
पयामे ज़िंदगी हर इक देती किरन की ख़ुशबू है ये बात पूछे तो मेहनतकशों जा के कोईकि रात चीज़ है क्या, क्या थकन कि ख़ुशबू है  मिलेगी मंज़िले- मक़सूद एक दिन मुझको कि मेरे अज़्मो-अमल में लगन कि ख़ुशबू है
गले मिली कभी उर्दू जहाँ पे हिंदी से
मेरे मिजाज़ मिज़ाज में उस अंजुमन की खुशबू ख़ुशबू है
वतन से आया है ये ख़त 'रक़ीब' मेरे नाम
हर एक लफ्ज़ लफ़्ज़ में गंगो-जमन की ख़ुशबू है
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