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बिजलियों सी चमक है तेरी
और गुलों सी ज़ाफ़रानी महक है तेरी
मेरे ख़्वाबों ख़यालों में बस
चूड़ियों की खनक है तेरी
ख़ामशीख़ामुशी, बाग़ में अब कहाँ
क़ुमरियों सी चहक है तेरी
मोतियों में दमक है तेरी
शाख़े - गुल का हो जिस पर गुमां
वो कमर की लचक है तेरी
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