भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दुर्दशा दत्तापुर / प्रेमघन

1,529 bytes added, 15:01, 11 अगस्त 2016
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
|संग्रह=जीर्ण जनपद / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
}}
{{KKCatBrajBhashaRachna}}
<poem>
श्रीपति कृपा प्रभाव, सुखी बहु दिवस निरन्तर।
निरत बिबिध व्यापार, होय गुरु काजनि तत्पर॥१॥
बहु नगरनि धन, जन कृत्रिम सोभा परिपूरित।
बहु ग्रामनि सुख समृद्धि जहाँ निवसति नित॥२॥
रम्यस्थल बहु युक्त लदे फल फूलन सों बन।
ताल नदी नारे जित सोहत, अति मोहत मन॥३॥
शैल अनेक शृंग कन्दरा दरी खोहन मय।
सजित सुडौल परे पाहन चट्टान समुच्चय॥४॥
बहत नदी हहरात जहाँ, नारे कलरव करि।
निदरत जिनहिं नीरझर शीतल स्वच्छ नीर झरि॥५॥
सघन लता द्रुम सों अधित्यका जिनकी सोहत।
किलकारत वानर लंगूर जित, नित मन मोहत॥६॥



</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits