भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नख सिख - 1 / प्रेमघन

826 bytes added, 17:04, 18 अगस्त 2016
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
|संग्रह=प्रेम पीयूष / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
}}
{{KKCatBrajBhashaRachna}}
<poem>
चितै दृग मीन मलीन कियो,
::मद हीन भये गज चाल मराल।
दबी द्युति दन्तन दामिनी ठोढ़ी,
::लखे पियरे भये डाल रसाल॥
भुजा छबि त्यों घनप्रेम लखो,
::दियो बास उदास कै ताल मृणाल।
लगाय मसी मुख डोलत मंद सो,
::चन्द बिलोकत भाल बिसाल॥
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits