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विनय पत्रिका / तुलसीदास

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/* राग बिलावल */
माँगत तुलसिदास कर जोरे. बसहिं रामसिय मानस मोरे..४..
 
'''सूर्य स्तुति'''
 
''२''
 
दीन-दयालु दिवाकर देवा. कर मुनि, मनुज, सुरासुर-सेवा..१..
 
हिम-तम-करि-केहरि करमाली. दहन-दोष-दुख-दुरित-रुजाली..२..
 
कोक-कोकनद-लोक-प्रकाशी. तेज-प्रताप-रूप-रस-रासी..३..
 
बेद-पुरान प्रगट जस जागै. तुलसी राम -भगती बर माँगै..४..
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