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Kavita Kosh से
जब तुम हो जाती हो उदास !<br>
ज्यों किसी गुलाबी दुनिया में सूने खँडहर के आसपास<br>
मदभरी चाँदनी चांदनी जगती हो !<br><br>
मुँह पर ढँक लेती हो आँचल<br>